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सोमवार, अक्टूबर 28 आत्मिक अमृत

अध्ययनः भजन संहिता 63


प्रार्थना को हमारे जीवन का सार बनने दें

हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूँढ़ूँगाय सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर, मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है।“ (भजन संहिता 63ः1)

दाऊद के जीवन की विशेषता प्रार्थना थी। भजन संहिता 109ः4 में वे कहते है, ‘‘मैं तो प्रार्थना में लवलीन रहता हूं।‘‘ प्रार्थना दाऊद के जीवन का सार थी। तो हमारे मामले में भी ऐसा ही होना चाहिए। हम देखते हैं कि दाऊद द्वारा लिखे गए अधिकांश भजन प्रभु के प्रति उसके हृदय की पुकार थे। उसने अपना सारा बोझ प्रभु के सामने लाया - प्रार्थना में। उसने अपनी सारी भावनाएँ उनके सामने प्रकट कर दीं - अपना डर, अपनी ख़ुशी, अपनी चिंताएँ और अपनी निराशाएँ। लेकिन, जब उसकी प्रार्थनाओं का उत्तर मिलने में देरी होती थी, तब भी हमने उसे कभी बेचैन होते नहीं देखा है। जब उनके तरीके रहस्यमय लगने लगे तो उसने चिंता नहीं की, बल्कि परमेश्वर के अपने समय और अपने तरीके से उत्तर देने की प्रतीक्षा की। वह भजन संहिता 131ः2 में लिखते हैं, ‘‘निश्चय मैं ने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया हैय जैसा दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी माँ की गोद में रहता हैय वैसे ही दूध छुड़ाए लड़के के समान मेरा मन भी रहता हैं।‘‘


प्रिय मित्रों, दाऊद, अपने भजनों के माध्यम से हमें प्रार्थना करना सिखाता है। हमारी प्रार्थना प्रभु के प्रति आराधना, उल्लास और स्तुति से भरी होनी चाहिए। वे कौन है और उन्होंने क्रूस पर हमारे लिए क्या किया है, इसके लिये आइए हम उनकी आराधना करें। प्रार्थना पूजा है। प्रार्थना का अर्थ , प्रभु से हम क्या चाहते है, य्ह पूछना भी है। हम कुछ भी मांग सकते हैं, यहां तक कि सबसे कठिन चीजें भी, क्योंकि हमारे परमेश्वर ने हमें मांगने के लिए कहा है। (मत्ती 7ः7) फिलिप्पियों 4ः6 में पौलुस कहते है, ‘‘किसी भी बात की चिन्ता मत करो, परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ।‘‘ आइए हम याद रखें कि जब हम प्रार्थना करते हैं तो हमारी सीधे प्रभु तक पहुंच होती है और पूरे ब्रह्मांड के निर्माता के साथ घनिष्ठता होती है। आइए हम यह विश्वास रखें कि उनके साथ सब कुछ संभव है, और जो हम पूछ सकते हैं या कल्पना कर सकते हैं, वे उससे कहीं अधिक करने में सक्षम है। तो, आइए हम दाऊद की तरह इंतजार करना सीखें - धैर्य और समर्पण के साथ तब तक इंतजार करें जब तक कि परमेश्वर हमें वह अपने तरीके में नहीं दे देते है जो हमने माँगा हैं। आइए हम अपने प्रभु से बात करने के लिए प्यासे रहें और हर दिन उन्हें अधिक से अधिक सुनें। 

प्रार्थनाः स्वर्गीय पिता, आपकी दयालुता के बारे में सोचना कितना अच्छा है। मैं आपसे प्यार करता हूं और आप जो हैं और आपने मेरे लिए जो किया है, उसके लिए मैं आपकी प्रशंसा करता हूं। मुझे प्रार्थना में आपके सामने घुटने टेकने और आपको सौम्य स्वर में मुझसे बात करते हुए सुनन की लालसा दें। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 

Dearly beloved,


This month we will have our chain of prayer.  The chain starts on Monday, October 28th noon and ends on Tuesday October 29th noon.  Let us all unite our hearts in prayer, and pray for this ministry, for our country and for various other concerns. We encourage you all to give your names through whatsApp or email and inform us which half an hour time slot you will choose to pray.  Please contact office number - 9444456177.  The prayer points are in EnglishTamil ( click the link).

 

Thank you.  God bless!

 

Yours in His service,

Samuel Premraj & Manjula Premraj

 

Our Contact:

EL-SHADDAI LITERATURE MINISTRIES TRUST, CHENNAI-59

Office : M: 9444456177 || https://www.honeydropsonlin

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