आत्मिक अमृत
प्रभु हर समय अच्छे हैं
इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया।“ (अय्यूब 1ः22)
जब कष्ट और परेशानियाँ आती हैं तो कुछ लोग परमेश्वर पर यह कहकर आरोप लगाते हैं कि वे उनके प्रति निर्दयी है। कुछ लोग कहते हैं कि वे पक्षपात करते है और हर समय केवल उन्हें ही दण्ड देते है, जबकि वे दूसरों को उनकी योग्यता से अधिक देते है। कुछ लोग पीड़ित होने पर कहते हैं कि उन्होंने जरूर कुछ ऐसा किया होगा जिससे परमेश्वर उन पर क्रोधित हो गये है। ये सभी विचार शैतान से प्रेरित हैं जो चालाकी से लोगों को परमेश्वर से अलग करना चाहता है। लेकिन, हमें, परमेश्वर की संतान के रूप में, इस तथ्य को कभी नहीं भूलना चाहिए या इससे इनकार नहीं करना चाहिए कि हमारे जीवन का हर चीज प्रभु के नियंत्रण में हैं, और वे इतना शक्तिशाली, इतना अच्छे और इतना बुद्धिमान है कि उन पर हमेशा भरोसा किया जा सकता है - यहां तक कि कष्ट के समय में भी। जब हम अय्यूब की पुस्तक पढ़ते हैं, तो हम समझते हैं कि उसकी प्रतिष्ठा और उसके विश्वास की कड़ी परीक्षा हुई थी। वह तबाह हो गया था। उसे एक के बाद एक बुरी ख़बरें लगातार मिलती रहीं। उसका दिमाग सुन्न हो गया था और दिल दुःख से भर गया था। फिर भी, अय्यूब ने परमेश्वर के प्रति अपना दृष्टिकोण नहीं बदला। उसने परमेश्वर की आराधना की और उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा, “यहोवा ने दिया, और यहोवा ने ही ले लिया। यहोवा का नाम धन्य है।”
प्रिय मित्रों, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि परमेश्वर का चरित्र अपरिवर्तनीय है। वे इसलिए नहीं बदलते है क्योंकि हमारी परिस्थितियाँ बदल गयी। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि वे जो हमारे प्रति इतने अच्छे और दयालु थे, वे हमारे कष्ट के दिनों में अचानक उदासीन और क्रूर हो गये है। आइए हम याद रखें कि परमेश्वर हमेशा अच्छे होते है और हमेशा नियंत्रण में रहते है। वे शैतान को अपनी सीमाओं से आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देते हैं। परमेश्वर हमारे बारे में सब कुछ जानते है। हम एक क्षण के लिए भी परमेश्वर की नजरों से अनभिज्ञ नहीं रहते है। तो आइए हम उन पर भरोसा करें और अपने कष्ट के समय में उनके निकट आएँ। कभी-कभी परमेश्वर हमारे जीवन के माध्यम से अपनी महिमा प्रदर्शित करने के लिए हमारी पीड़ा का उपयोग करते है। हमारी प्रतिक्रिया अय्यूब की तरह होनी चाहिए। अय्यूब 2ः10 में हम पढ़ते हैं, ‘‘इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुँह से कोई पाप नहीं किया।‘‘ और यहोवा ने उसके धैर्य के लिये उसका आदर किया। उसी प्रकार प्रभु हमें भी प्रतिफल देंगे।
प्रार्थनाः हे प्यारे परमेश्वर, चूँकि आप जानते हैं कि मैं किस दुःख के मार्ग पर जा रहा हूँ, इसलिए मुझे उससे डरना नहीं चाहिए। मुझे आपके खिलाफ कुड़कुड़ाना नहीं चाहिये। मुझे विश्वास है कि आप मुझे इस दर्दनाक स्थिति से विजयी रूप से बाहर निकालेंगे। इस अवधि के दौरान आप मुझे जो सबक सिखाते हैं उसे सीखने में मेरी मदद करें। आमीन।
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