अध्ययनः रोमियों 1ः18-23
घमंड और धन्यवाद
हे परमेश्वर को भूलनेवालो, यह बात भली भाँति समझ लो ३धन्यवाद के बलिदान का चढ़ानेवाला मेरी महिमा करता है३”
- भजन संहिता 50ः22,23
नील प्लेटिंगा ने कहा, ‘‘धन्यवाद देना स्वस्थ ईसाई जीवन की लय में एक नियमित उत्साह है।‘‘ दाऊद ने अपने जीवन में एक चरवाहे लड़के के रूप में, शाऊल की सेना में योद्धा के रूप में और इस्राएल के राजा के रूप में याद किया कि यहोवा उसका परमेश्वर और उसका प्रभु था। वह आभारी था कि उसकी सभी जीतें केवल उनके द्वारा ही संभव हुईं। संकट, भ्रम और हार के समय भी वह आभारी थे। और इसलिए केवल हम भजनों की पूरी किताब में उसके गीतों के माध्यम से उसके धन्यवाद के हृदय को महसूस कर सकते हैं। चूँकि परमेश्वर हमेशा एक दाता है, वे हमेशा हमारी मांग या कल्पना से हमें अधिक प्रदान करते है - कृतज्ञता के साथ परमेश्वर को धन्यवाद देना स्वाभाविक और उचित है। कभी-कभी हम धन्यवाद देने में असफल हो जाते हैं क्योंकि परमेश्वर के अधिकांश उपहार सूक्ष्म भेष में आते हैं। उदाहरण के लिए, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, जिस प्रकाश और गर्मी का हम आनंद लेते हैं वह मुफ्त आती है। और हमें शायद ही कभी उसकी कीमत का एहसास होता है। ऐसी और भी कई चीजें हैं जिन्हें हम हल्के में लेते हैं क्योंकि वे गिफ्ट पैक में नहीं आते हैं। फिर भी, वे असली उपहार हैं। जब एक बुजुर्ग महिला को डॉक्टरों ने दिन में लगभग दो तिहाई समय ऑक्सीजन पर रहने की सलाह दी, तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कभी एहसास नहीं हुआ कि बिना किसी कीमत पर सांस लेना इतना कीमती है, जब तक मुझे ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए नहीं कहा गया था जिसकी कीमत प्रति सप्ताह हजार रुपये थी। मैंने परमेश्वर की उस निःशुल्क ऑक्सीजन के लिए प्रशंसा की जो वे मेरे जन्म के दिन से ही मुझे दे रहे थे।‘‘
प्रिय मित्रों, हमारे प्रभु वे सब कुछ प्रदान करते है जिसकी हमें आवश्यकता होती है और हमें शायद ही कभी इसका एहसास होता है। आज के पाठ में हम पौलुस को उन लोगों को चेतावनी देते हुए पाते हैं - जो परमेश्वर को उनके महान प्रावधानों के लिए धन्यवाद देने और उनकी महिमा करने में विफल रहे है। वे इसका श्रेय उनके घमंड को देते हैं। अभिमान और धन्यवाद कभी एक साथ नहीं चलते है। तो आइए हम अपने प्रभु के प्रति आभारी रहें, और उनके सामने खुद को विनम्र रखें और हर पल उनकी स्तुति करें।
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, खेद है कि मुझे शायद ही कभी एहसास हुआ कि मेरे जीवन की बुनियादी जरूरतें आपके अद्भुत उपहारों से पूरी होती हैं जो आपके द्वारा बनाई गई प्रकृति में भरी हुई हैं। हे प्रभु, मैं कृतज्ञता से भरे हृदय से आपको धन्यवाद देता हूं। मेरे जीवन में अभिमान को कोई स्थान न मिले, कहीं ऐसा न हो कि मैं आपकी स्तुति करने से रह जाऊं। आमीन।
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