सोमवार, 14 अप्रैल || अवज्ञा करके आज्ञाकारिता का आशीर्वाद मत गँवाओ
- Honey Drops for Every Soul
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आत्मिक अमृत अध्ययनः लैव्यव्यवस्था 26ः3-16
‘और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूँगा, और तुम्हारा परमेश्वर बना रहूँगा, और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे। ‘- लैव्यव्यवस्था 26ः12
यहोवा ने इस्राएलियों से एक महान प्रतिज्ञा की - ‘‘मैं तुम्हारे बीच अपना निवास बसाऊंगा, और तुम से घृणा नहीं करूंगा।‘‘ प्रभु की उपस्थिति सबसे बड़ा आशीर्वाद है क्योंकि हर दूसरा आशीर्वाद इस पर निर्भर करता है। इस्राएल के अलावा अन्य कौन से राष्ट्रों के बीच में जीवित परमेश्वर का तम्बू था और परमेश्वर उनके बीच में चलते थे! जब वे एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते थे, तो प्रभु उनके साथ उनके लिए बनाये गये तम्बू में चलते थे। (2 शमूएल 7ः6) उन्होंने उनका भरण-पोषण किया, और उन्हें अपनी भलाई की सारी आशीषें प्रदान कीं। उन्होंने उनकी रक्षा की और उनके सभी शत्रुओं से उनकी रक्षा की ताकि वे ईमानदारी से चलते हुए, बिना किसी डर के उनकी सेवा कर सकें। वे उनके विशेष लोग थे, जो उनके द्वारा चुने गए, छुड़ाए गए और पवित्र किए गए थे, और जिनसे उनका विशेष प्रेम था। (1 पतरस 2ः9) उन्हें मोल लेने के बाद, उन्होंने उन पर कब्जा किये और वे उन्हें कभी बाहर नहीं निकालेंगे। लेकिन इस्राएलियों ने ये सभी विशेषाधिकार खो दिए क्योंकि उन्होंने प्रभु की अवज्ञा की, जिसके परिणामस्वरूप परमेश्वर अपना वादा पूरा नहीं कर सके। पुराने नियम के सबसे दुखद वचनों में से एक में, हम पढ़ते हैं, “हमारे पुरखाओं ने विश्वासघात करके वह कर्म किया था, जो हमारे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में बुरा है और उसको तज करके यहोवा के निवास से मुँह फेरकर उसको पीठ दिखाई थी।‘‘ (2 इतिहास 29ः6) इस कारण प्रभु को मंदिर को नष्ट करने और अपने लोगों को निर्वासन में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा।
प्रिय मित्रों, आइए हम सावधान रहें। यदि हम परमेश्वर के मार्गों पर चलने से इनकार करते हैं, दूसरे शब्दों में यदि हम आत्मा के बजाय शरीर में चलते हैं, तो हम परमेश्वर के क्रोध को भड़काएँगे। दूसरी ओर, यदि हम परमेश्वर की आज्ञाओं पर ध्यान देते हैं, तो हमारी शांति नदी की तरह बहेगी और परमेश्वर की शकीना महिमा हमेशा हमारे बीच रहेगी।
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, अपनी अवज्ञा के कारण इस्राएलियों ने आपके द्वारा दिए गए असंख्य आशीर्वादों को खो दिया और उन्होंने आपके क्रोध को अपने ऊपर ले लिया। आपकी शकीना की महिमा उन से दूर हो गई। मैं सावधान रहूँ कि मैं आपके नियमों के विरुद्ध विद्रोह न करूँ और आध्यात्मिक आशीर्वाद न खोऊँ। आमीन।
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