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सोमवार, 07 अप्रैल || आपको केवल एक कार्य करना है - परमेश्वर पर भरोसा करें!

आत्मिक अमृत अध्ययनः यहोशू 1ः 1-6


“तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा३ जीवित ईश्वर तुम्हारे मध्य में है” - यहोशू 3ः9

भजनकार इस वचन में कहते है, ‘‘परमेश्वर जो कुछ करते है उस पर मैं ध्यान करूँगा, उनके बारे में सोचूँगा और जब तक मैं उनका अर्थ नहीं देख लेता तब तक उन पर ध्यान केन्द्रित करूँगा।‘‘ परमेश्वर क्या करते है, इसे केवल स्मरण करना ही पर्याप्त नहीं है। हमें उन पर चिंतन भी करना चाहिए और मनन भी करना चाहिए। हममें से कई लोगों के साथ यही समस्या है। आज ईसाइयों की कमजोरी का यही प्रमुख कारण है। हम यह सोचने में समय नहीं लगाना चाहते कि परमेश्वर ने क्या कहा है या उन्होंने क्या किया है। कितना अच्छा होगा, यदि हम अपने मन को अपने जीवन में परमेश्वर के अद्भुत कार्यों के बारे में बार-बार सोचने पर मजबूर करें - यहां तक कि जब हम काम कर रहे है, मार्ग पर गाड़ी चला रहे है या बर्तन धो रहे है! यदि हम उस समय अपने मन को परमेश्वर और उनके कार्यों के बारे में सोचने में लगाते हैं, क्योंकि हम इन चीजों को बिना ज्यादा सोचे-समझे स्वचालित रूप से कर सकते हैं, तो हम उन तरीकों से आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि वे खुद को हमारे सामने कैसे प्रकट करेंगे। वचन 13-15 में भजनकार हमें अपने ध्यान का फल बताते है, “हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की हैं। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है? अद्भुत काम करनेवाला परमेश्वर तू ही हैं।“ अंततः वह जिस निष्कर्ष पर पहुंचता है, वह परमेश्वर की पवित्रता और महानता है। यह हमारी आस्था की भूमि है। जब हम परमेश्वर के इन शक्तिशाली चरित्रों से अवगत होते हैं तो हमारा विश्वास मजबूत हो जाता है। परमेश्वर के कार्यों पर उसके ध्यान ने भजनहार को स्वयं परमेश्वर के सामने विस्मय में खड़ा कर दिया। उसे एहसास हुआ कि वे पवित्र, परिपूर्ण है, हर चीज में परिपूर्ण। उसे एहसास हुआ कि वो उनके सामने आ गये है जो अतुलनीय है। उनके जैसा कोई नहीं है।


प्रिय मित्रों, आइए हम भजनहार की तरह अपने हृदयों को शांत करना सीखें ताकि हम भी उस स्थान पर पहुँच सकें जहाँ हम परमेश्वर की शक्ति, महानता और प्रेम से प्रभावित हों और कहें, ‘‘हमारे परमेश्वर के समान महान कौन है!‘‘

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, जब मैं अपनी समस्याओं की तुलना आपकी महानता से करता हूँ तब मुझे प्रकट होता है कि वे कितने तुच्छ है । इस अहसास के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। आप कितने महान हैं, हे प्रभु! मैं प्रार्थना करता हूं कि मैं अपने दिल को शांत कर सकूं और आप पर, अपरिवर्तनीय पर, अपना विश्वास रख सकूं। आपका मार्ग पवित्र है और आप मेरे जीवन में कदम दर कदम मेरी अगुवाई करते हैं। आमीन
 
 

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