top of page

शुक्रवार, दिसंबर 20 || आत्मिक अमृत

अध्ययनः  लूका 1ः 5-17


परमेश्वर के उत्तम समय की प्रतीक्षा करें


हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है।“ - सभोपदेशक 3ः1

जकरयाह और इलीशिबा काफी बूढ़े थे और वे बच्चे पैदा करने की सामान्य उम्र पार कर चुके थे। वे कई वर्षों से प्रार्थना कर रहे थे लेकिन कुछ नहीं हुआ। लेकिन जब जकरयाह को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी, तब उनकी प्रार्थना का जवाब आ गया। एक दिन जब वे पवित्र मन्दिर में प्रभु की सेवा कर रहे थे, तब प्रभु का एक दूत उन्हें दिखाई दिया और उसने कहा, “हे जकरयाह, भयभीत न हो, क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गयी हैय और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा।“ (लूका 1ः13) 


जब हम प्रार्थना करते हैं तब सबसे कठिन कामों में से एक है परमेश्वर के उत्तर की प्रतीक्षा करना। परमेश्वर अपने समय के अनुसार प्रार्थना का उत्तर देते है, और उनकी देरी उनके इनकार के समान नहीं है। परमेश्वर अक्सर तब तक प्रतीक्षा करते है जब तक चीजें मानवीय रूप से असंभव न हो जाएं, और फिर वे वही करते है जो उन्होंने करने की योजना बनाई है। हम परमेश्वर की समय की समझ से चकित हैं - लूका 1 वचन 5 कहता है, ‘‘हेरोदेस के समय‘‘, वचन 10 कहता है, ‘‘धूप जलाने के समय‘‘, वचन 23 कहता है, ‘‘जब उस की सेवा के दिन पूरे हुए‘‘, वचन 24 कहता है, ‘‘इन दिनों के बाद उसकी पत्नी इलीशिबा गर्भवती हुईय और पांच महीने तक अपने आप ३छिपाए रखा।‘‘ जकरयाह और इलीशिबा को नहीं पता था, लेकिन परमेश्वर शुरू से ही यूहन्ना के जन्म की योजना बना रहे थे। जो उन्हें अस्पष्ट मौन प्रतीत हो रहा था वह वास्तव में परमेश्वर, उन्हें दुनिया को मुक्ति प्रदान करने की अपनी योजना का हिस्सा बनने के लिए तैयार कर रहे थे। ब्रायन बिल लिखते हैं, ‘‘जब हम कोई ऐसी प्रार्थना करते हैं जो सही नहीं है, तो परमेश्वर ‘‘नहीं‘‘ कहेंगे। जब हम प्रार्थना करते हैं और हम आध्यात्मिक रूप से सही नहीं होते हैं, तो परमेश्वर कहेंगे, ‘‘बढ़ो।‘‘ जब हम प्रार्थना करते हैं और समय सही नहीं है, तो परमेश्वर कहेंगे, ‘‘धीमे।‘‘ लेकिन जब हम प्रार्थना करते हैं और सब ठीक होता है, तो परमेश्वर कहेंगे ‘‘जाओ।‘‘ प्रिय दोस्तों, आइए हम परमेश्वर को उनके सही समय में अपना संपूर्ण कार्य करने की अनुमति दें, और उन्हें अपने अपूर्ण शेड्यूल में फिट करने के लिए दबाव डालना बंद करें।

 प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, जब मुझे मेरी प्रार्थना का उत्तर नहीं मिलता है तो मैं अधीर या निराश न हो जाऊं और प्रार्थना करना बंद न कर दूं। मुझे यह समझने दीजिए कि आपके पास एक महान योजना है और आप इसे अपने सही समय पर पूरा करेंगे। आइए मैं आपके साथ सहयोग करूं और आपकी संप्रभु इच्छा के आगे झुकूं। आमीन
 
 

Our Contact:

EL-SHADDAI LITERATURE MINISTRIES TRUST, CHENNAI - 59.

Office: +91 9444456177 || https://www.honeydropsonline.com

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page