अध्ययनः 2 इतिहास 32ः 20-23
प्रार्थना से विजय मिलती है
धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है।“ - याकूब 5ः 16
कल, हमने इस बात पर ध्यान दिया कि कैसे सन्हेरीब के सेनापति ने हिजकिय्याह के आदमियों को धमकी दी, और कैसे उसने बहुत अहंकार और अभिमान के साथ जीवित परमेश्वर का उपहास किया। आज, हम देखेंगे कि हिजकिय्याह ने इस संकटपूर्ण और अपमानजनक स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया दी। सबसे पहले हिजकिय्याह ने अपने वस्त्र फाड़े, टाट पहिन लिया, और नम्रता के साथ यहोवा के मन्दिर में उन्हें ढूंढ़ने गया। दूसरा, उसने यशायाह भविष्यवक्ता से प्रार्थना का समर्थन मांगा। तीसरा, उसने सन्हेरीब से प्राप्त धमकी भरे पत्र को प्रभु के सामने फैलाया, और सच्चे दिल से प्रार्थना की। 2 राजाओं 19 का 15-19 वचन से हमें उनकी प्रार्थना की तीव्रता और उत्साह का पता चलता है। उसने दोहाई दी, ‘‘हे यहोवा! कान लगाकर सुन, हे यहोवा आँख खोलकर देख, और सन्हेरीब के वचनों को सुन ले, जो उसने जीवित परमेश्वर की निंदा करने को कहला भेजे हैं।“ यहोवा ने राजा हिजकिय्याह की हार्दिक पुकार सुनी। अपने खुद के बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार देखकर उनका क्रोध भड़क उठा। उसने अश्शूरियों से बदला लेते हुए कहा, “तू ने जो नामधराई और निंदा की है, वह किस की है? और तू ने जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड किया है वह किसके विरुद्ध किया है? इस्राएल के पवित्र जे विरुद्ध किया है? इस कारण कि तू मुझ पर क्रोध भड़काता और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में पड़ी है, मैं तेरे नाक में अपनी नकेल डालकर३ जिस मार्ग से तू आया है, उसी से तुझे लौटा दूँगा।“ और उन्होंने अपने लोगों से वादा किया, ‘‘और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे, और फलेंगे भी। यहोवा यह काम अपनी जलन के कारण करेगा।“ उसी रात प्रभु ने अपना दूत भेजा जिसने असीरियन शिविर में एक लाख पचासी हजार लोगों को मार डाला।
प्रिय मित्रों, क्या आप अपने शत्रुओं के अत्याचार से परेशान हैं? अपने प्रार्थना साथी के साथ अपना बोझ साझा करें और विनम्र हृदय से प्रभु से प्रार्थना करें। वे उत्साही परमेश्वर है और वे आपको चमत्कारिक ढंग से आपके शत्रुओं से बचायेंगे।
प्रार्थनाः स्वर्गीय पिता, आप कितने उत्साही परमेश्वर हैं! आप उन लोगों को दण्ड देते है जो आपसे और आपके सन्तान से विवाद करते हैं, परन्तु जो सच्चे हृदय से आपको पुकारते हैं उनकी रक्षा करते हैं। मैं आपके सामने स्वयं को नम्र करता हूं और आपकी स्तुति करता हूं। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।
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