शुक्रवार, 07 मार्च || आत्मिक अमृत
- Honey Drops for Every Soul
- Mar 7
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अध्ययनः यशायाह 43ः 1-5
परीक्षण किया गया और योग्य पाया गया!
“इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।“
- 1 पतरस 5ः6
जब हम कठिन समय से गुजरते हैं, तो हम कभी-कभी विलाप करते हैं, ‘‘कब तक प्रभु?‘‘ लेकिन पवित्र शास्त्र हमें बताती है कि हमारे प्रभु कभी भी हमें अपनी सीमा से अधिक परीक्षा में नहीं पड़ने देते है। वे हमारा उद्धार करेंगे, हमें ऊँचा उठायेंगे और उचित समय पर हमें ऊपर उठायेंगे। ‘‘नियत समय‘‘ क्या है? ए.डब्ल्यू.टोजर लिखते हैं, ‘‘इसका मतलब है कि एक ऐसा समय जो सभी परिस्थितियों के लिए उचित है। यह वह समय है जिसके बारे में परमेश्वर जानते है कि यह हमें पूर्ण बनाने के लिए सबसे उपयुक्त है, और यह उनके लिए सम्मान लाता है।‘‘ हमारे स्वर्गीय पिता के पास अनंत बुद्धि है और वे अच्छी तरह से जानते हैं कि हमें कैसे और कब छुटकारा दिलाना है और कब हमें अच्छी चीजें प्रदान करनी हैं। परमेश्वर कभी गलत नहीं होते हैं। वे न तो बहुत देर से आते है और न ही बहुत जल्दी। वे समय पूरा होने का इंतजार करते है। दानिय्येल 3 में, हम शद्रक, मेशक और अबेदनगो के बारे में पढ़ते हैं। उन्हें आग में झोंके जाने से पहले ही परमेश्वर आसानी से उनकी रक्षा के लिए आ सकते थे। लेकिन, उन्होंने ‘‘नियत समय‘‘ की प्रतीक्षा की, ताकि उस घटना के माध्यम से उनका नाम बेबीलोन में अन्यजातियों के बीच सम्मानित किया जा सके। उसी प्रकार, प्रभु ने जानबूझकर दानिय्येल को सिंह की माँद में डालने की अनुमति दी। दानिय्येल वहाँ रात भर शेरों के साथ सोता रहा क्योंकि उसके लिए परमेश्वर का ‘‘नियत समय‘‘ सुबह था, पिछली रात नहीं! अन्यथा राजा दारा ने उनकी महानता और उनकी अद्भुत शक्ति को नहीं देखा होता!
प्रिय दोस्तों, आप में से कुछ लोग इस समय वास्तव में आग की भट्टी में होंगे। आप शायद परमेश्वर से प्रार्थना कर रहे होंगे, ‘‘आप मुझे इससे बाहर क्यों नहीं निकालते हो?‘‘ हिम्मत मत हारो। परमेश्वर की योजना के अनुसार, अभी इसका उचित समय नहीं आया है। जब उसका समय आएगा, तो वे तुम्हें निश्चय ही बाहर निकाल देंगे और तुम्हारे वस्त्र पर धुएँ की गंध भी न होगी! यहोवा का नाम तुम्हारे शत्रुओं के बीच तुम्हारे द्वारा ऊंचा किया जाएगा।
प्रार्थनाः स्वर्गीय पिता, मेरे कष्ट के दौरान आपके भरोसेमंद बच्चे के रूप में आचरण करने में मेरी सहायता करें। जब आप मुझे परखें और मेरी परीक्षा लें, तो मुझे धैर्यपूर्वक सहन करने की शक्ति दें, ताकि आप ख़ुशी से मुझे प्रमाणित करते हुए कहें, ‘‘मेरी बेटी, मेरा बेटा! परीक्षण किया गया और योग्य पाया गया!‘‘ आमीन।
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