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शनिवार, नवंबर 30 ||. आत्मिक अमृत

अध्ययनः. 1 कुरिन्थियों 9ः24-27


विजेता बनें! आपका इनाम बहुत बढ़िया होगा!


“जो जय पाए मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊँगा” - प्रकाशितवाक्य 3ः21

बहुत से लोग जीवन की दौड़ तो अच्छी तरह शुरू करते हैं, लेकिन रास्ते में या तो वे दयनीय स्थिति में गिर जाते हैं या आधे रास्ते में ही अपने अंतिम लक्ष्य से भटक जाते हैं। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम अपनी दौड़ कैसे शुरू करते हैं, बल्कि सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि हम इसे कैसे समाप्त करते हैं। पौलुस इतना साहसी था कि उसने 2 तीमुथियुस 4ः7 में कहा, ‘‘मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।‘‘ उनकी दौड़ आसान नहीं थी। उन्हें कई बाधाओं, उत्पीड़न, भूख, प्यास, कारावास, भुखमरी, अस्वीकृति आदि का सामना करना पड़ा। लेकिन वे उन सभी के बीच डटे रहे और उन्होंने उन सभी पर विजयी रूप से विजय प्राप्त की। अपनी दौड़ के अंत में उन्होंने कितनी बढ़िया गवाही दी है!


	प्रिय मित्रों, प्रभु चाहते हैं कि हम पाप, शैतान, बुराई, सांसारिक सुखों और प्रलोभनों पर विजय प्राप्त करें क्योंकि उन्होंने दुनिया पर विजय प्राप्त की है और शैतान पर विजय प्राप्त की है। और इसलिए, वे उन सभी को विजेता बनाकर पुरस्कृत करने के लिए उत्सुक है जो उनके नक्शेकदम पर चलते हैं। आज का वचन हमें बताता है कि वे हमें, विजेताओं को, सिंहासन पर अपने साथ बैठने का अधिकार देते है! कितना बड़ा विशेषाधिकार है! इसके अलावा, वे उन लोगों को अन्य आशीर्वाद भी प्रदान करते है जो विजयी होते हैं। प्रकाशितवाक्य 2ः7 कहता है कि वे उन्हें जीवन के वृक्ष का फल खाने का अधिकार देंगेय 2ः11 कहता है कि जो कोई जय पाते है, उन पर दूसरी मृत्यु से कुछ भी हानि न होगीय 2ः17 कहता है कि विजेताओं को छिपे हुए मन्ना में से कुछ दिया जाएगाय 2ः26 कहता है कि यहोवा जयवंतों को राष्ट्रों पर अधिकार देते हैय 3ः5 कहता है कि जो जय पाते, उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाया जाएगा, और उनका नाम जीवन की पुस्तक से कभी न मिटाया जाएगाय 3-12 कहता है कि विजेता परमेश्वर के मन्दिर में खम्भे होंगे। तो,आइए हम उन सभी चीजों को त्याग दें जो बाधा डालती हैं और पाप को त्याग दें जो आसानी से उलझा देता है। और आइए हम विश्वास के रचयिता और सिद्धकर्ता यीशु पर अपनी निगाहें टिकाते हुए, हमारे लिए निर्धारित दौड़ में दृढ़ता के साथ दौड़ें। (इब्रानियों 12ः1,2) आइए हम विजेताओं के रूप में दौड़ को सफलतापूर्वक पूरा करें और वह सब प्राप्त करें जो हमारे स्वर्गीय पिता ने हमारे लिए रखा है। हलेलूयाह! 

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मैं जीवन की दौड़ अपने प्रयासों, शक्ति और बुद्धि से नहीं दौड़ सकता हूँ। मैं आपसे, आपकी कृपा और आपके वचन से जुड़ा हुआ हूं ताकि मैं विजयी रूप से दौड़ पूरी कर सकूं और वे सभी आशीर्वाद प्राप्त कर सकूं जो आपने मेरे लिए आरक्षित किये हैं। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 
 

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