शनिवार, अप्रैल 05 || गलत चीजों पर भरोसा करना
- Honey Drops for Every Soul
- 5 days ago
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आत्मिक अमृत अध्ययनःयिर्मयाह 42ः 1-16
‘जैसे कुत्ता अपनी छाँट को चाटता है, वैसे ही मूर्ख अपनी मूर्खता को दुहराता है।‘
- नीतिवचन 26ः11
बेबीलोनियों ने यरूशलेम पर आक्रमण किया और वे कई यहूदियों को बंदी बनाकर बेबीलोन ले गए, और बचे हुए लोगों ने यिर्मयाह से प्रभु के निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा कि क्या वे सुरक्षा के लिए मिस्र जा सकते थे। प्रभु का मार्गदर्शन लेने और उन्होंने जो कहा उसे उन्हें बताने के लिए, यिर्मयाह सहमत हुआ। लोगों ने तीन बार प्रतिज्ञा की कि वे यहोवा की हर बात का पालन करेंगे जो उन्होंने उनसे करने को कहा है। दस दिन के बाद, यहोवा का वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा और उन्होंने सभी लोगों को परमेश्वर की इच्छा बताने के लिए इकट्ठा किया। यहोवा ने लोगों से कहा कि यदि वे भूमि में बने रहेंगे, तो वे उनका निर्माण करेंगे और उन्हें मजबूती से बढ़ायेंगे। (यिर्मयाह 1ः10, 24ः6) वे उनकी पूर्व अवज्ञा के लिए उन पर अपना दंड भी कम करेंगे जिसके परिणामस्वरूप बेबीलोन का आक्रमण हुआ था। प्रभु ने उनसे कहा कि वे नबूकदनेस्सर से न डरें क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर उन्हें नबूकदनेस्सर के हाथ से बचाने और छुड़ाने के लिए उनके साथ रहेंगे। हालाँकि, अगर उन्होंने भूमि छोड़ने का फैसला किया और प्रभु की आवाज नहीं सुनी, अगर उन्होंने मिस्र जाने का फैसला किया जहां उन्होंने सोचा कि वे सुरक्षित रहेंगे और उनके पास भरपूर भोजन होगा, तो वे निश्चित रूप से वहां तलवार, अकाल और बीमारी से मर जाएंगे। प्रभु उन पर अपना क्रोध भड़काएंगे, वे दूसरों के लिए घृणा का पात्र बन जाएंगे। जब बचे हुए लोगों ने यह सुना, तो उन्होंने अपना हृदय कठोर कर लिया। उन्हें मिस्र रहने और समृद्ध होने के लिए सबसे अच्छा, सबसे तार्किक स्थान लगा, और इसलिए वे मिस्र चले गए।
प्रिय मित्रों, हम कितनी बार परमेश्वर की इच्छा जानना चाहते हैं, जबकि चाहे कुछ भी हो जाए हम अपने गुप्त हृदय में एक निश्चित मार्ग का पालन करने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हैं। आइए हम सच्चे और विनम्र हृदय से परमेश्वर की आज्ञा मानने में सावधान रहें कि वे जो कुछ भी हमें बतायेंगे हम वही करें और जहां वे हमें ले जायेंगे वहां जाए।
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, आपकी इच्छा जानने के बाद भी यहूदियों ने आपके विरुद्ध विद्रोह किया और वे मिस्र चले गए। अंततः वे आपके क्रोध को अपने ऊपर ले आये। मुझे प्रार्थना में यह नहीं पूछना चाहिए कि मेरी दिशा स्पष्ट हो जाए, जबकि वास्तव में मैंने पहले ही इस पर निर्णय ले लिया है और गुप्त रूप से मैं आशा करता हूं कि मैं आपको अपनी ओर कर लूँ। आमीन।
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