top of page

शनिवार, 28 दिसंबर || आत्मिक अमृत


हे प्रभु, मुझे पाप के बंधन से मुक्त करो


यदि मैं मन में अनर्थ की बात सोचता, तो प्रभु मेरी न सुनता। ‘ - भजन संहिता 66ः18

ओसवाल्ड स्मिथ लिखते हैं, ‘‘पाप एक चक्की की तरह है, यह हमें हमेशा दबाए रखेगा। और अगर हम इसके सामने झुकते हैं, तो हम फिर से इसकी लालसा करेंगे। इच्छा को बढ़ावा देने का मतलब इसे ऐसी आग में झोंकना है जो कभी बुझ नहीं सकती।‘‘ हम ऐसे युग में रह रहे हैं जहां पाप अपना कुरूप जाल फैला रहा है और लोगों के जीवन के हर कोने पर आक्रमण कर रहा है। परम पवित्र परमेश्वर की संतान के रूप में हमारे लिए पाप के चंगुल से बचना वास्तव में एक बड़ी चुनौती है। जब तक हम पूरी तरह से यीशु के बहुमूल्य खून की आड़ में नहीं आ जाते है, हम शैतान के जाल में फंस सकते हैं। (इब्रानियों 12ः2) तो आइए हम इस दुनिया के मानकों से थोड़ा सा भी समझौता करने, पाप और विकृतियों के आगे झुकने की कोशिश न करें। पवित्र शास्त्र हमें स्पष्ट रूप से चेतावनी देती है कि यदि हम अपने हृदय में पाप पालेंगे तो प्रभु हमारी बात भी नहीं सुनेंगे, और इसलिए हमारी प्रार्थनाएँ अनुत्तरित रह जाएंगी। 


आइए हम यह कहकर खुद को धोखा न दें, ‘‘ओह, यह सिर्फ एक छोटा सा झूठ है,‘‘ या ‘‘यह सिर्फ एक आकस्मिक नजर है‘‘ या ‘‘यह सिर्फ एक तुच्छ गपशप है।‘‘ कोई भी पाप छोटा नहीं है। जो कुछ भी परमेश्वर की आज्ञा के विरुद्ध है वह पाप है, और परमेश्वर कहते है कि हमें इसे त्याग देना चाहिए। यशायाह 59ः2 कहता है, “परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया हैय और तुम्हारे पापों के कारण उसका मुख तुम से छिपा है कि वह नहीं सुनता।“ 2 तीमुथियुस 2ः19 कहता है, ‘‘जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।‘‘ यह परमेश्वर का आदेश है और इसलिए यदि हमें उनका अनुमोदन प्राप्त करना है तो हमें हर पाप को त्यागना होगा जो हमें ज्ञात है।


 प्रिय दोस्तों, ओसवाल्ड स्मिथ लिखते हैं, ‘‘एकमात्र वास्तविक दुःख जो एक ईसाई के जीवन में आ सकता है, वह पाप को आश्रय देने वाले हृदय की यातना और पीड़ा है।‘‘ तो आइए हम अपनी आत्मा को पाप से भ्रष्ट न होने दें। आइए हम इसे अपने जीवन से निकाल दें, क्योंकि जब तक हम पाप से नाता नहीं तोड़ लेते तब तक हम अपने ईसाई जीवन में कभी प्रगति नहीं कर पाएंगे। जब तक हम इसे नहीं छोड़ देते यह हमें बर्बाद कर देता है। आइए हम अपने प्रभु यीशु के निकट आएँ जो अकेले ही बंधन की हर जंजीर को तोड़ सकते हैं। 

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मैं एक पापी दुनिया में रहता हूँ और चारों ओर पापी लोगों से घिरा हुआ हूँ। मेरे लिए पवित्र, समझौताहीन जीवन जीना वास्तव में एक बड़ी चुनौती है। मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दो ताकि मुझमें शैतान का विरोध करने की शक्ति आ जाए। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 
 

Our Contact:

EL-SHADDAI LITERATURE MINISTRIES TRUST, CHENNAI - 59.

Office: +91 9444456177 || https://www.honeydropsonline.com

コメント

5つ星のうち0と評価されています。
まだ評価がありません

評価を追加
bottom of page