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शनिवार, 21 दिसंबर || आत्मिक अमृत

अध्ययनः  लूका 1ः26-38


डरो मत, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूं


‘स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे मरियम, भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है।‘ - लूका 1ः30

उत्पत्ति 3ः8-10 में मनुष्य के पतन के बाद से डर मानव अस्तित्व का एक हिस्सा रहा है। हर कोई, चाहे वे कितने भी बहादुर क्यों न दिखें, किसी न किसी चीज से डरते हैं - बीमारी, वित्तीय असफलताएँ, अस्वीकृति, आदि। यहाँ तक कि पवित्र शास्त्र में भी, हमने पढ़ा है कि अब्राहम ने डर के कारण सारा के बारे में झूठ बोला था। (उत्पत्ति 12ः11-13) याकूब एसाव से डरता था। (उत्पत्ति 32ः6-8) मूसा फिरौन से डरता था, और अपने ही लोगों द्वारा अस्वीकार किये जाने से डरता था। (निर्गमन 2ः14, 4ः1) चेले तूफान से डर गए। (मत्ती 8ः24-26) लेकिन आज हमारे सामने एक उत्साहजनक खबर है और वह यह है कि हमारे पास एक देखभाल करने वाला पिता है और उसका एक वचन हमारे डर को दूर करने और हमारी चिंताओं को खत्म करने के लिए पर्याप्त है। 


परमेश्वर ने अपने पुत्र के जन्म से जुड़े संदेश के साथ तीन लोगों के पास तीन बार स्वर्गदूतों को पृथ्वी पर भेजा - पहले मरियम के पास, फिर यूसुफ के पास और फिर चरवाहों के पास। तीनों बार, जब देवदूत आये, भय आधारित प्रतिक्रिया हुई। और हर बार, स्वर्गदूत ने उन लोगों, जो भयभीत थे, उनसे ये शब्द कहे, ‘‘डरो मत।‘‘ प्रिय दोस्तों, जब हमारा जीवन हमारी योजना के अनुसार नहीं चलता है जैसा कि मरियम और यूसुफ के मामले में हुआ था, तो हमारे लिए डरना आसान होता है। अक्सर परमेश्वर हमारे जीवन में ऐसी चीजें घटित होने देते हैं जिन्हें सहन करना और समझना कठिन होता है। फिर भी प्रभु उन्हें हमारे रास्ते भेजते हैं। भयानक समय से बचने का रहस्य परमेश्वर पर पूरा भरोसा करना सीखना है। मरियम और यूसुफ ने उपहास और अपमान के बावजूद स्वेच्छा से परमेश्वर द्वारा उन्हें दी गई जिम्मेदारी को स्वीकार किया। उनके साथ ‘‘क्या होगा अगर‘‘ का सवाल कभी नहीं था। यह एक ऐसा उदाहरण है जिसका हम सभी को अनुकरण करने की आवश्यकता है। शुरुआत में चीजें ख़राब लग सकती हैं लेकिन आख़िर में परमेश्वर की महिमा होगी और हमें आशीष मिलेगी। (रोमियों 8ः28) 

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, जब मेरे जीवन में चीजें योजना के अनुसार नहीं होतीं हैं, जब मैं वर्तमान को नहीं समझता हूँ, और भविष्य को लेकर भयभीत होता हूं, तो मुझे आप पर और आपके शब्दों पर भरोसा करने दें, ‘‘डरो मत।‘‘ मुझे आपकी इच्छा को प्राथमिकता देने दें और आपके उद्देश्य के प्रति समर्पण करने दें, जो हमेशा मेरी भलाई के लिए है। आमीन
 
 

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