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रविवार, 27 अक्टूबर आत्मिक अमृत

अध्ययनः भजन संहिता 119ः103-112

पवित्र शास्त्र - सबसे बड़ा खजाना!

मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं।“ (भजन संहिता 119ः111)

हममें से कई लोगों के साथ समस्या यह है कि यद्यपि हम परमेश्वर का वचन पढ़ते हैं, हम इसे अपने मन में नहीं लेते हैं और इसे अपने जीवन में लागू नहीं करते हैं। हम पाठ पर महारत हासिल करने, उसके सटीक अर्थ का पता लगाने और धर्मशास्त्रों को इकट्ठा करने पर अधिक इच्छुक होते हैं, ताकि हम परमेश्वर के बारे में अधिक समझदारी से बात कर सकें। डेविड रोपर लिखते हैं, ‘‘हालाँकि पवित्र शास्त्र पढ़ने का मुख्य उद्देश्य उनके बारे में जानकारी जमा करना नहीं है, बल्कि उनके पास आना और जीवित परमेश्वर के रूप में उनका सामना करना है।‘‘ जब यीशु इस पृथ्वी पर रहे थे, तब उन्होंने यहूदियों, जो ऐसा दिखाते थे जैसे कि उन्हें पवित्र शास्त्र का पूरा ज्ञान है, यह कहकर डांटा, ‘‘तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता हैय और यह वही है जो मेरी गवाही देता हैं।‘‘ (यूहन्ना 5ः39) यह अफसोस की बात है कि वे जो पवित्र शास्त्र को अच्छी तरह से जानते थे और महान विद्वान थे, उन्होंने यह नहीं समझा कि यीशु मसीहा थे।

	प्रिय मित्रों, आइए हम प्रभु के गुणों - उनके अथाह प्रेम, उनकी अच्छाई, महानता और विश्वासयोग्यता - को जानने के लिए पवित्र शास्त्र पढ़ें। किसी ने कहा, ‘‘पवित्र शास्त्र परमेश्वर का प्रेम पत्र है जो हमें, उनके प्रिय को लिखा गया है।‘‘ तो आइए हम प्रभु को करीब से जानने की तीव्र इच्छा के साथ इसे व्यक्तिगत रूप से पढ़ें। जीन-पियरे लिखते हैं, ‘‘जब हम उनके वचन पढ़ते हैं तो हम उनके मन को पढ़ रहे होते हैं - वे क्या जानते है, वे क्या महसूस करते है, वे क्या प्यार करते है, क्या नफरत करते है इत्यादि। विषय को मन के बजाय हृदय में अधिक गहराई से समझने के लिए चुपचाप, धीरे-धीरे, शब्द दर शब्द पढ़ें। समय≤ पर इन सच्चाइयों को आत्मा की सभी गहराइयों में प्रवाहित होने देने के लिए छोटे-छोटे विराम लें।“ सबसे पहले हम दस मिनट पढ़ने से शुरुआत कर सकते हैंय फिर शायद हम इसे आधे घंटे तक बढ़ाना चाहेंगे या एक घंटा भी। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम कितना समय व्यतीत करते हैं, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि हम वचन से कितना सीखते हैं। आइए हम इस पर विचार करने के लिए समय निकालें कि प्रभु क्या कह रहे हैं। 

प्रार्थनाः स्वर्गीय पिता, मैं उस महान खजाना, पवित्र शास्त्र के लिए आपको धन्यवाद देता हूं, जो आपने मुझे दिया है। मेरी सहायता करें कि मैं इसे केवल ज्ञान प्राप्त करने के लिए न पढ़ूं, बल्कि आपको व्यक्तिगत रूप से जानने के लिए पढ़ूं। मुझे प्रतिदिन पवित्र शास्त्र पढ़ने की तीव्र इच्छा दें और वह भी बहुत व्यवस्थित ढंग से। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 

Dearly beloved,


This month we will have our chain of prayer.  The chain starts on Monday, October 28th noon and ends on Tuesday October 29th noon.  Let us all unite our hearts in prayer, and pray for this ministry, for our country and for various other concerns. We encourage you all to give your names through whatsApp or email and inform us which half an hour time slot you will choose to pray.  Please contact office number - 9444456177.  The prayer points are in EnglishTamil ( click the link).

 

Thank you.  God bless!

 

Yours in His service,

Samuel Premraj & Manjula Premraj

 

Our Contact:

EL-SHADDAI LITERATURE MINISTRIES TRUST, CHENNAI-59

Office : M: 9444456177 || https://www.honeydropsonlin

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