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मंगलवार, 29 अक्टूबर आत्मिक अमृत

अध्ययनः यशायाह 41ः10-15

प्रभु! आप हमेशा मेरे साथ हो!!

चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगाय क्योंकि तू मेरे साथ रहता हैय३” (भजन संहिता 23ः4)

कभी-कभी जब हम बार-बार कठिन समय से गुजरते हैं, तो हम यह सोचने के लिए प्रलोभित होते हैं, ‘‘कितना अच्छा होता यदि जीवन केवल हरी-भरी चरागाह से ही बना रहता!‘‘ लेकिन कोई भी, विशेष रूप से हम परमेश्वर के लोग, जीवन भर गुलाबों के बिस्तर पर लेटे नहीं रह सकते और हरी मखमली चरागाहों में चलते नहीं रह सकते है। गुलाबों के अलावा काँटे जरूर होगी हरे चरागाहों के अलावा मौत की छाया की घाटियों भी निश्चित रूप से होंगे। मृत्यु की छाया की घाटी ‘‘गहरे अंधकार‘‘ का वर्णन करती है। यह चिंता और अज्ञात भय से जुड़ा शब्द है। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक अकेलेपन का अनुभव करता है, जब लंबे समय तक विफलता होती है, जब स्वास्थ्य खराब हो जाता है, जब गंभीर वित्तीय दुर्घटना, विश्वासघात, आलोचनाएं, प्रियजनों की हानि आदि होती है, तो यह दर्शाता है कि वह मौत की छाया की घाटी से गुजर रहा है। कोई भी इससे गुजरना पसंद नहीं करता है, लेकिन हर विश्वासी के जीवन में यह अपरिहार्य है। प्रेरितों के काम 14ः22 कहता है, ‘हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।“ लेकिन इस महत्त्वपूर्ण समय में हमें जो खुशबरी बात पता होना चाहिये वह यह है कि परमेश्वर हमेशा हमारे साथ है। परमेश्वर ने पवित्र शास्त्र में अपने सेवकों के लिए जो कहा है वह हमेशा के लिये सत्य है। उन्होंने मूसा से कहा, ‘‘मैं आप तेरे साथ चलूँगा और तुझे विश्राम दूँगा।“ (निर्गमन 33ः14) उन्होंने याकूब से कहा, ‘‘मैं तेरे संग रहूँगा, और जहां कहीं तू जाए वहाँ तेरी रक्षा करूंगा।‘‘ (उत्पत्ति 28ः15) उन्होंने इस्राएल से कहा, ‘‘मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया हैय ...जब तू जल में होकर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में होकर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगीय जब तू आग में चले, तब तुझे आँच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी।‘‘ (यशायाह 43ः1,2)


	इसलिए प्रिय मित्रों, आइए हम कठिन परिस्थितियों से गुजरने से न डरें, बल्कि साहसी और आश्वस्त रहें कि प्रभु की उपस्थिति उतनी ही वास्तविक है जितनी उनके शिष्यों के दुखों और पीड़ाओं के बीच थी। उन्होंने वादा किया है, ‘‘मैं जहत के अंत तक सदा तुम्हारे संग हूं,‘‘ (मत्ती 28ः20) और वे किसी भी कीमत पर हमें कभी अलविदा‘‘ नहीं कहेंगे।

प्रार्थनाः सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जब भी मैं बड़े कष्टों से गुजरूं, मुझे यह एहसास दिलाने में मदद करें कि आप मेरे साथ हैं। मेरे माता-पिता मुझे त्याग सकते हैं, मेरा जीवनसाथी मुझे अस्वीकार कर सकता है, मेरे बैंक में जमा राशि शून्य हो सकता है, लेकिन फिर भी आप मेरे साथ हैं। धन्यवाद परमेश्वर। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 

Dearly beloved,


This month we will have our chain of prayer.  The chain starts on Monday, October 28th noon and ends on Tuesday October 29th noon.  Let us all unite our hearts in prayer, and pray for this ministry, for our country and for various other concerns. We encourage you all to give your names through whatsApp or email and inform us which half an hour time slot you will choose to pray.  Please contact office number - 9444456177.  The prayer points are in EnglishTamil ( click the link).

 

Thank you.  God bless!

 

Yours in His service,

Samuel Premraj & Manjula Premraj

 

Our Contact:

EL-SHADDAI LITERATURE MINISTRIES TRUST, CHENNAI-59

Office : M: 9444456177 || https://www.honeydropsonlin

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