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मंगलवार, 22 अक्टूबर अध्ययनः इब्रानियों 12ः12-24

आत्मिक अमृत

शांति का अनुबंध

सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा।“ (इब्रानियोंः 12ः14)

एक उपदेशक ने एक व्यक्ति से पूछा कि वह कुछ समय से कलीसिया के सभाओं में क्यों नहीं शामिल हो रहा था। उस आदमी ने उत्तर दिया, ‘‘उन्होंने वहां मेरे साथ ठीक से व्यवहार नहीं किया।‘‘ उपदेशक ने कहा, ‘‘तो फिर तुम घर जाकर अपनी पत्नी को मारते-पीटते और लातें क्यों नहीं मारते?‘‘ चैंककर भटका हुआ विश्वासी ने उपदेशक की ओर दयनीय दृष्टि से देखा और कहा, ‘‘मेरी पत्नी ने मेरे विरुद्ध कुछ नहीं किया है।‘‘ उपदेशक ने कहा, ‘‘तो फिर, क्या प्रभु यीशु ने तुम्हारे विरुद्ध कुछ किया है?‘‘ ‘‘नहीं,‘‘ आदमी ने कहा। पादरी ने आगे कहा, ‘‘तो फिर मसीह को त्यागने का क्या मतलब है जब आपके मन में केवल साथी विश्वासियों के प्रति ही द्वेष है?‘‘ अपने व्यवहार से शर्मिंदा होकर, उस व्यक्ति ने अपने कृत्य को सही ठहराने के लिए झूठे कारण ढूंढे बिना उसके बाद नियमित रूप से कलीसिया जाने का फैसला किया। उसने मसीह की खातिर अपने क्रोध को अपने मन से दूर रखने की शपथ ली। प्रिय मित्रों, मत्ती 25ः40 में प्रभु कहते हैं कि हमने भाइयों के साथ जो कुछ भी किया है, हम ने उसे परमेश्वर के साथ किया है। हमें दोगुना सावधान रहना चाहिए कि हम कलीसिया, विश्वासियों के निकाय के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। साथ ही, आज का पाठ हमें चेतावनी देता है कि यदि हम कलीसिया में या उसके बाहर किसी के प्रति कड़वाहट रखते हैं तो हम परमेश्वर की कृपा से वंचित हो सकते हैं। (वचन15)

आप अपने साथी विश्वासियों पर भी बहुत क्रोधित हो सकते हैं, और तिरस्कार के रूप में आप उनकी संगति से दूर हो सकते हैं। लेकिन अपने साथी विश्वासियों पर आपके क्रोध के कारण, मसीह के शरीर, कलीसिया की उपेक्षा करना अनुचित है।

यह कुत्ते पर गुस्सा होना और बिल्ली को लात मारने के बराबर है। आइए हम याद रखें कि हम प्रभु यीशु के रक्त के द्वारा नई वाचा के अंतर्गत आते हैं। आइए हम सभी मतभेदों के बावजूद एक-दूसरे को क्षमा करें और स्वीकार करें। आइए हम अपनी आँखें हमारे प्रभु यीशु पर केन्द्रित करें, और उनके उदाहरण का अनुसरण करें। आइए हम एक-दूसरे के साथ शांति से रहने के लिए पूर्वाग्रहों और दिखावे को दूर करें। आइए हम विश्वासियों के शरीर की उपेक्षा न करें, क्योंकि इस शरीर का मुखिया स्वयं मसीह है। यदि हम शरीर की उपेक्षा करते हैं तो हम सिर का भी उपेक्षा करते हैं।


प्रार्थनाः पिता, जब मैं झूठे चेहरे वाले लोगों को देखता हूं, तो मैं निराश हो जाता हूं और कलीसिया की उपेक्षा करके अपना गुस्सा दिखाने की कोशिश करता हूं। कृपया मुझे माफ करें। मुझे लोगों के साथ शांति से रहने और आपका सम्मान करने का अनुग्रह दें। मेरे हृदय से सारी कड़वाहट दूर हो जाये। मुझे अपनी मधुर संगति पुनः लौटा दीजिये। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 

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