मंगलवार, 08 अप्रैल || छुपे हुए पाप परमेश्वर की आँखों के सामने खुल गए हैं
- Honey Drops for Every Soul
- Apr 8
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आत्मिक अमृत अध्ययनः 2 शमूएल 12ः7-14
‘जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।‘ - नीतिवचन 28ः13
यह वचन एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश देता है कि पाप को छिपाने का हर प्रयास विफल होता है। दाऊद ने अपने पापों - बतशेबा के साथ व्यभिचार और ऊरिय्याह की हत्या को कई महीनों तक छुपाया, जिसने निस्संदेह उसे यह सोचने में धोखा दिया कि उसने इससे छुटकारा पा लिया है। लेकिन परमेश्वर ने अपने भविष्यवक्ता नातान को दाऊद के पास भेजा जिसने स्पष्ट रूप से दाऊद के घोर पाप को प्रकट किया। एलीशा के सेवक गेहजी ने इस तथ्य को छिपाने की कोशिश की कि उसने नामान से पैसे लिये थे। लेकिन प्रभु ने न केवल गेहजी के पाप को एलीशा के सामने प्रकट किया, उन्होंने उसे और उसके वंशजों को श्राप भी दिया। जो अपने पापों को छुपाता है वह सफल नहीं होगा, चाहे वह वचन में कितना भी अच्छा ज्ञाता हो, या उसके साथी उसकी प्रशंसा करते हों। परन्तु जो पाप को मान लेता है और उसे त्याग देता है, उस पर दया होती है। एफ.बी. मेयर लिखते हैं, ‘‘कबूल करने का अर्थ, पाप के विरुद्ध परमेश्वर का पक्ष लेना है। यह हृदय और जीवन से एक के बाद एक चीजों को बाहर निकालना है, और उन्हें परमेश्वर के सामने इस स्वीकारोक्ति के साथ रखना है कि यह हमारी गलती है, हमारी गंभीर गलती है।“ हमारी क्षमा का आधार हमारे प्रभु यीशु मसीह का प्रायश्चित है जो अनुग्रह में समृद्ध है, जिन्होंने कलवारी पर हमारे न्याय को सहन किया और हमारे पापों को दूर करने के लिए अपना कीमती खून बहाया। सच्ची स्वीकारोक्ति का मतलब केवल पापपूर्णता और दुष्टता की सामान्य स्वीकृति नहीं है, इसमें वास्तविक पश्चाताप शामिल है।
प्रिय मित्रों, क्या हमारे जीवन में कोई पाप है जिसे हम छिपा रहे हैं? आइए हम याद रखें कि यह काम नहीं करेगा। हम परमेश्वर को धोखा नहीं दे सकते है। स्वीकारोक्ति वह कुंजी है जो क्षमा का द्वार खोलती है। तो आइए हम इसे परमेश्वर के सामने स्वीकार करें और उनकी बिना शर्त दया और प्रेम का अनुभव करें।
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, आप टूटे हुए और निराश हृदय से घृणा नहीं करते है। मैं स्वीकार करता हूं कि मैं पापी हूं। मैं ने बुरे काम किए हैं, और मैं गुप्त पापों का दोषी हूं, जिन्हें केवल आप ही जानते है। हे प्रभु, मुझे क्षमा कर दो। यीशु के रक्त से मेरा हृदय शुद्ध करो। मैं आपके साथ अपनी संगति पुनः स्थापित करने की इच्छा रखता हूँ। आमीन।
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