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मंगलवार, 04 अप्रैल || उन्होंने अपना पाठ अच्छे से नहीं सीखा

आत्मिक अमृत अध्ययनः निर्गमन 17ः1-7


‘हे भाइयो, चैकस रहो कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी मन न हो, जो तुम्हें जीवते परमेश्वर से दूर हटा ले जाए। ‘ - इब्रानियों 3ः12

हम गिनती 33ः 12-14 में पढ़ते हैं कि इस्राएलियों ने पाप के जंगल से यात्रा की और वे दोपका में डेरे डाले, फिर दोपका से उन्होंने यात्रा की और वे आलूश में डेरे डाले, और आलूश से उन्होंने यात्रा की और उन्होंने रपीदीम में डेरे डाला। अब यहाँ लोगों के पास पीने के लिए पानी नहीं था। दोपका शब्द का अर्थ ‘‘खटखटाना‘‘ या ‘‘पीटना‘‘ है और आलूश शब्द का अर्थ ‘‘आटे की तरह गूंधना‘‘ है रपीदीम शब्द का अर्थ ‘‘फैलना‘‘, ‘‘आराम करना‘‘ है। परमेश्वर चाहते थे कि इस्राएलियों रपीदीम में उनकी देखरेख में विश्राम करें। जैसे एक बेकर रोटी, कुकीज, केक तैयार करता है, परमेश्वर अपने लोगों को अपने आशीर्वाद की मिठास के लिए तैयार कर रहे थे। जैसे एक बेकर आटा कूटता है, उसे गूंधता है, और उसे बेलता है, दिव्य बेकर उन्हें परीक्षणों की एक श्रृंखला के माध्यम से तैयार करना चाहते थे ताकि उन्हें हर सांसारिक निर्भरता से छुटकारा दिलाया जा सके और उन्हें पूरी तरह से उन पर भरोसा करना सिखाया जा सके। लेकिन दुख की बात है कि उनकी प्रतिक्रिया बड़बड़ाने और परमेश्वर की निष्ठा पर सवाल उठाने वाली थी। रपीदीम में परमेश्वर चाहते थे कि वे पानी उपलब्ध कराने के लिए उन पर भरोसा करें। यह कोई दुर्घटना नहीं थी कि मानो परमेश्वर ने उनका नेतृत्व करने में कोई गलती की हो। निर्गमन 17ः1 कहता है कि उन्होंने यहोवा की आज्ञा के अनुसार रपीदीम में डेरे डाले। इसलिए यह निश्चित है कि प्रभु ने जानबूझकर इस्राएल को एक संकटपूर्ण स्थिति में डाला था।


प्रिय मित्रों, कभी-कभी परमेश्वर हमें परखने के लिए और यह देखने के लिए कि हम कैसी प्रतिक्रिया देते हैं, कठिन परिस्थितियों का सामना करने की अनुमति देते हैं। वे हमारे जीवन में कठिन लोगों की अनुमति देते है ताकि वे हमें धैर्य, क्षमा, क्रोध और कड़वाहट पर काबू पाने का पाठ पढ़ा सकें। वे वित्तीय संकट को हमें अपने प्रति विश्वास और पूरे दिल से भरोसा का पाठ पढ़ाने के लिये अनुमति देते है। आइए हम सावधान रहें कि हम उन इस्राएलियों की तरह प्रतिक्रिया न करें जिन्होंने अपनी बार-बार की शिकायतों से परमेश्वर के धैर्य की परीक्षा ली।

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, आपने इस्राएल के इतिहास में घटनाओं की एक श्रृंखला का उपयोग करके उन्हें उस स्थान पर लाने की कोशिश की जहां उन्हें एहसास होगा कि आप ही उनकी देखभाल कर रहे हैं, लेकिन वे सबक सीखने में बार-बार विफल रहे। मैं आपसे विमुख न होऊं, बल्कि स्वेच्छा से आपसे सीखूं। आमीन
 
 

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