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बुधवार, अक्टूबर 23 अध्ययनः प्रेरितों 2ः36-41

తేనెధారలు

यीशु प्रभु, यीशु मसीह!

अतः अब इस्राएल का सारा घराना निश्चित रूप से जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।” (प्रेरितों 2ः36)


ड्वाइट एल मूडी के धर्म प्रचार कार्य के शुरुआती दिनों के दौरान, महान प्रचारक शिकागो में बैठकों की एक श्रृंखला को आयोजित कर रहे थे। पहली रविवार की रात, 8 अक्टूबर, 1871 को, वे भीड़ पर यह प्रभाव डालने की कोशिश कर रहे थे कि यीशु ही मुक्ति के एकमात्र रास्ता है, और उन्होंने वहाँ एकत्र हुए प्रत्येक व्यक्ति के लिए कष्ट उठाया था और वे मारे गये थे। जैसे ही वे अपने संदेश के अंत में आए, उन्होंने यीशु के कष्टों पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘फिर यीशु को, जो मसीह कहलाता है, क्या करूँ?‘‘ (मत्ती 27ः22) उन्होंने निष्कर्ष बताया, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप इस पाठ को अपने साथ घर ले जाएं और सप्ताह के दौरान इसे अपने दिमाग में रखें, और अगले सब्त के दिन हम कलवारी और क्रूस पर आएंगे, और हम तय करेंगे कि हमें नासरत के यीशु के साथ क्या करना चाहिये।‘‘ उन्होंने सोचा कि लोगों को पहले अपने पिछले जीवन के बारे में सोचने का समय दिया जाना चाहिए और उसके बाद वे अगले रविवार को वेदी पर प्रार्थना करेंगे। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई। उसी रात, जब अंतिम भजन प्रस्तुत किया जा रहा था, शिकागो में भीषण आग लग गई, जिसमें मूडीज हॉल राख हो गया और एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई। उस रात जिन लोगों से उन्होंने बात की उनमें से कुछ निस्संदेह बिना उद्धार पाये मर गए। अपराधबोध ने मूडी को कई वर्षों तक परेशान किया था। यदि उन्होंने उसी रात वेदी पर प्रार्थना की होती, तो आग में मारे गए लोगों के लिए कितना अच्छा होता था!


प्रिय दोस्तों, खुशखबरी सुनाने का आह्वान अत्यावश्यक है और इसे स्थगित नहीं किया जा सकता है। हमारे चारों ओर की दुनिया उद्धारकर्ता के बिना मर रही है। क्या आप कमर कस लेंगे और खुशखबरी लेकर निकल पड़ेंगे? देरी हमारे भाइयों के बहुमूल्य जीवन के लिए बहुत महंगी साबित हो सकती है। आज के पाठ में हमने पढ़ा कि पवित्र आत्मा प्राप्त करने के बाद पतरस ने कोई समय नहीं गंवाया। लगभग तभी और वहीं, उसने अपना सुसमाचार कार्य शुरू किया और परिणाम - एक या दो नहीं, बल्कि तीन हजार बचाये गये! आइए हम एक साथ जुड़ें और पवित्र आत्मा की शक्ति से शुभ समाचार का प्रचार करें - आज और अभी! 
प्रार्थनाः प्रभु यीशु, मैं आपको अपने उद्धारकर्ता के रूप में पाकर सौभाग्यशाली हूँ। अपने देश के लोगों तक शीघ्रता से सुसमाचार पहुँचाने में मेरी सहायता करें, कि कोई भी बिना बचाए नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 

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