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बुधवार, 13 नवम्बर आत्मिक अमृत

अध्ययनः भजन संहिता 43ः1-5


आशा - हमारी आत्माओं के लिए टॉनिक


“क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।“ (नीतिवचन 23ः18)

हम इस नारे से परिचित हैं, ‘‘सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।‘‘ इसी से मिलता-जुलता एक और नारा है, जिस पर हम सभी को आवश्यक रूप से ध्यान देना चाहिये - ‘‘सावधानः निराशा! आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।‘‘ कई नैदानिक अध्ययनों ने निराशा की भावनाओं और उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों की घटनाओं के बीच सीधा संबंध दिखाया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग द्वारा वित्त पोषित एक रिपोर्ट कहती है, आठ सौ बुजुर्ग अमेरिकियों के एक अध्ययन में, प्रतिभागियों से इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कहा गया थाः ‘‘क्या आप अपने भविष्य के बारे में आशान्वित हैं?‘‘ जिन लोगों ने नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की उन्हें ‘निराशाजनक‘ के रूप में वर्गीकृत किया गया था। फिर प्रतिभागियों को अगले तीन से सात साल तक ट्रैक किया गया था। ‘निराशाजनक‘ के रूप में वर्गीकृत किए गए लोगों में से 29 प्रतिशत की मृत्यु हो गई, जबकि ‘आशावादी‘ के रूप में वर्गीकृत केवल 11 प्रतिशत की मृत्यु हुई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि निराशा और बीमारी को जोड़ने में कई तरह के कारक काम कर सकते हैं, लेकिन यह संभव है कि निराशा की भावनाएं कुछ जैव रासायनिक परिवर्तनों को जन्म दे सकती हैं जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती हैं। जिस प्रकार निराशा हमारे शरीर को कमजोर करती है, उसी प्रकार यह हमारी आत्मा को भी कमजोर कर सकती है। दूसरी ओर, आशा हमें यह विश्वास दिलाती है कि परमेश्वर हमारी भलाई के लिए सभी चीजें काम कर रहे है, जहां ‘सभी चीजें‘ भी शामिल हैं - बीमारी, वित्तीय विफलता, हारना, विश्वासघात या कोई भी आपदा जिसका हम सामना करते हैं।


प्रिय दोस्तों, जब चीजें गलत होती हैं, तो हम निराश, भ्रमित, भयभीत या उदास महसूस कर सकते हैं - लेकिन हमें आशा नहीं छोड़नी चाहिए। ऐन स्पैंगलर लिखती हैं, ‘‘आशा हमें अलौकिक शक्ति प्रदान करती है ताकि हम उस दिन तक सहन कर सकें जब तक कि परमेश्वर अपने वादा पूरा नहीं कर देते है।‘‘ आइए हम अब्राहम को याद करें, जिन्होंने सभी आशाओं के विपरीत, विश्वास किया कि परमेश्वर उन्हें संतान दे सकते है, भले ही उनका शरीर मृत के समान हो। और उनकी आशा ने उन्हें निराश नहीं किया। आइए हम अय्यूब को याद करें जिन्होंने कहा था, ‘‘वह मुझे घात करेगा, मुझे कुछ आशा नहींय “ (अय्यूब 13ः15) और उनकी आशा भी नहीं टूटी। तो आइए हम भी परे देखें इस आशा से कि हमारे प्रभु अपने वादों के अनुसार हमारी अभिलाषाओं को अवश्य पूरा करेंगे। 

प्रार्थनाः स्वर्गीय पिता, हालाँकि स्थितियाँ नकारात्मक और निराशाजनक लग सकती हैं, मुझे आप में अपनी आशा न खोने में मदद करें। मेरा मानना है कि क्योंकि मैं आपका संतान हूं, आप मेरी भलाई के लिए सभी चीजें करते हैं और आप मुझे कभी चोट नहीं पहुंचाएंगे या मुझे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन
 
 

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