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गुरुवार, 03 अप्रैल || आत्मिक अमृत


आइए हम परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए जियें


“ हनोक तीन सौ वर्ष तक परमेश्वर के साथ साथ चलता रहा (उत्पत्ति 5ः22) ३उसकी यह गवाही दी गई थी कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।“ - इब्रानियों 11ः5

दुनिया उन लोगों पर ध्यान देती है जो विज्ञान या व्यवसाय या मनोरंजन में उपलब्धि हासिल करते हैं। परन्तु परमेश्वर उन पर ध्यान देते है जो उनके साथ चलते हैं और वे उनसे प्रसन्न होते है। जो लोग परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करते है उनके क्या गुण होते हैं? सबसे पहले, वे केवल अपने लिए जीते हैं। स्वयं ही वह ईश्वर है जिसकी वे पूजा करते हैं। दूसरा, वे केवल पुरुषों को खुश करना चाहते हैं। गलातियों 1ः10 में पौलुस लिखते हैं, ‘‘यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्न करता रहता तो मसीह का दास न होता।“ तीसरा, वे देह में हैं। रोमियों 8ः8 कहता है, ‘‘जो शरीरिक दशा में हैं, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते।‘‘ चैथा, उनमें कोई विश्वास नहीं है। इब्रानियों 11ः6 कहता है, ‘‘और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है।‘‘ आइए अब हम उन लोगों के गुणों को देखें जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं। सबसे पहले, वे सांसारिक तरीकों में नहीं फंसते है बल्कि एक सैनिक की तरह खुद को परमेश्वर के लिए अलग करते हैं जो अपने कमांडिंग ऑफिसर को खुश करने की कोशिश करता है। (2 तीमुथियुस 2ः4) दूसरा, वे पूरी तरह से परमेश्वर के प्रति समर्पित हैंय वे अकेले उनकी इच्छा पूरी करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करते हैं। तीसरा, वे विश्वास के साथ परमेश्वर के साथ चलते हैं। हनोक परमेश्वर के साथ चला, और पवित्र शास्त्र कहता है कि उन्होंने परमेश्वर को प्रसन्न किया। हनोक परमेश्वर के बारे में केवल ‘‘बातचीत करने वाला‘‘ नहीं था, बल्कि परमेश्वर के साथ ‘‘चलने वाला‘‘ भी था। वह 300 वर्षों तक प्रभु के साथ अटूट संगति में रहा, वह कभी-कभार परमेश्वर का दर्शन नहीं करता था, बल्कि वह आदतन उनके साथ चलता था। यहोवा हनोक से इतना प्रसन्न हुए कि वे उन्हें उस स्थान पर ले गये जहाँ वह है। हनोक ने कभी मृत्यु का स्वाद नहीं चखा।


प्रिय मित्रों, क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि जो ब्रह्मांड का निर्माता, स्वर्ग का शासक और मानव जाति का मुक्तिदाता है, वे हमारी मित्रता चाहते है और जब हम उन्हें खोजते हैं तो वे हमसे प्रसन्न होते है? क्या हम सदैव उन्हें पूरे हृदय से खोजते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए जीते हैं?

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मुझे अपने साथ चलने दो, मुझे अपना हाथ आपके हाथ में महसूस करने दो, मुझे अपनी नहीं बल्कि आपकी शक्ति में चलने का आनंद जानने दो, मुझे आपके साथ घनिष्ठ संवाद का आनंद लेने दो। मैं न तो आपके आगे दौड़ूं और न ही आपसे पीछे रहूं, बल्कि आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चलूं। मेरा जीवन आपको प्रसन्न करे। आमीन
 
 

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